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⭐ The Return of Tiger – Episode 647
🐍 “नागराज का अंत”
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🌑 गुफा में अंधेरा
नागगुफा के सबसे गहरे हिस्से में गाढ़ा अंधेरा पसरा था।
दीवारों से सर्पों की फुफकार गूँज रही थी।
बीच में चमक रही थी — विष मणि, नागराज की अमर शक्ति का स्रोत।
टाइगर और अर्जुन घायल हालत में खड़े थे।
उनके साथ काला चीता और सफेद भेड़िया भी खून से लथपथ थे।
लेकिन चारों की आँखों में सिर्फ़ एक ही संकल्प था —
"आज इस आतंक का अंत करना ही होगा।"
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⚔️ नागराज का प्रकट होना
अचानक गुफा हिली, ज़मीन फटी और काले धुएँ के बीच से नागराज प्रकट हुआ।
उसकी आँखें लाल थीं, शरीर पर हज़ारों सर्प लिपटे थे।
वह गर्जना करता हुआ बोला –
"टाइगर! तूने मेरी सेना खत्म की, मेरे नागों को मारा, लेकिन मैं अमर हूँ। जब तक विष मणि मेरे पास है, मुझे कोई नहीं हरा सकता।"
टाइगर ने दहाड़ लगाई –
"तेरा आतंक आज ख़त्म होगा नागराज। ये जंगल तेरा कभी नहीं होगा।"
नागराज हँस पड़ा।
"तो आ जा, देख लेते हैं किसमें कितना दम है!"
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🌪️ भयानक युद्ध
टाइगर ने छलाँग लगाई और अपने पंजों से नागराज को ज़मीन पर पटक दिया।
नागराज ने फुफकारते हुए ज़हरीली आग फेंकी।
गुफा की दीवारें पिघलने लगीं।
काला चीता पीछे से हमला करता, तो नागराज अपनी पूंछ से उसे दूर फेंक देता।
सफ़ेद भेड़िया उसके पैरों पर झपटता, मगर ज़हर की लपटों से घायल हो जाता।
अर्जुन ने तलवार उठाई और नागराज पर वार किया।
तलवार उसके शरीर को काट तो गई, मगर घाव तुरंत भर गया।
नागराज हँसते हुए बोला –
"मैं अमर हूँ अर्जुन! तेरी तलवार मुझे छू भी नहीं सकती।"
अर्जुन गरजकर बोला –
"अमरता तुझे बचा सकती है, लेकिन इंसाफ़ से कोई नहीं बच सकता।"
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🪨 मणि पर वार
लड़ाई के बीच अर्जुन ने मणि पर नज़र डाली।
वह समझ गया —
"अगर इसे तोड़ा नहीं, तो नागराज अजेय रहेगा।"
वह छलाँग लगाकर मणि की ओर बढ़ा।
लेकिन नागराज ने उसे पकड़कर हवा में उठा लिया।
उसने हँसते हुए कहा –
"अगर तूने मणि को छुआ भी, तो तेरे भाई की जान यहीं ले लूँगा।"
टाइगर तिलमिला उठा।
उसके सामने सबसे बड़ा संकट था —
भाई की जान या जंगल की सुरक्षा।
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💔 अर्जुन का बलिदान
अर्जुन ने दर्द से कराहते हुए कहा –
"भाई… मेरी फिक्र मत कर। जंगल हम सबका है। अगर जंगल ही बचा नहीं, तो मेरी ज़िंदगी का क्या मतलब? तू मणि तोड़ दे, चाहे मुझे अपनी जान देनी पड़े।"
टाइगर की आँखों से आँसू बहने लगे।
उसने दहाड़ते हुए छलाँग लगाई और पूरी ताक़त से विष मणि पर वार किया।
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💥 मणि का टूटना
विष मणि चटकते ही गुफा कांप उठी।
उससे निकली रोशनी इतनी तेज़ थी कि पूरा अंधेरा मिट गया।
नागराज दर्द से चीखने लगा।
"नहीं…! मेरी शक्ति… मेरी अमरता…!!!"
उसका विशाल शरीर राख में बदलने लगा।
हज़ारों छोटे साँप तड़प-तड़पकर मर गए।
गुफा का ज़हर धीरे-धीरे खत्म होने लगा।
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🌅 नई सुबह
नागराज अंततः राख बनकर गिर पड़ा।
उसकी आवाज़ आखिरी बार गूँजी –
"टाइगर… तूने मुझे हरा दिया… लेकिन अंधकार कभी खत्म नहीं होगा…"
इसके बाद सब कुछ शांत हो गया।
अर्जुन ज़मीन पर गिरा पड़ा था।
टाइगर उसके पास भागा और उसे उठाया।
अर्जुन ने धीमी आवाज़ में कहा –
"भाई… हमने कर दिखाया।"
टाइगर ने उसे गले लगाया और कहा –
"नहीं अर्जुन, हमने नहीं… पूरे जंगल ने ये जीत हासिल की है।"
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🎉 जंगल की जीत
गुफा से बाहर निकलते ही उन्हें एक नया दृश्य दिखा।
सारा जंगल हरा-भरा हो चुका था।
नदियाँ साफ़ बह रही थीं, पेड़ों पर फिर से जीवन लौट आया था।
सभी जानवर इकट्ठा हुए और टाइगर व अर्जुन को सलाम किया।
काला चीता और सफेद भेड़िया भी गर्व से उनके साथ खड़े थे।
बूढ़ा साधु प्रकट हुआ और बोला –
"आज से तुम दोनों सिर्फ योद्धा नहीं, बल्कि जंगल के सच्चे रक्षक हो।"
टाइगर और अर्जुन ने आसमान की ओर देखा।
सूरज की पहली किरण जंगल को रोशन कर रही थी।
एक नई सुबह का आगाज़ हो चुका था।
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👉 इस तरह Episode 647 पर नागराज की दास्तान खत्म होती है।
लेकिन उसकी आखिरी चेतावनी — “अंधकार कभी खत्म नहीं होगा” — संकेत देती है कि आगे और भी बड़े खतरे टाइगर का इंतज़ार कर रहे हैं।