⭐ The Return of Tiger – Episode 648
🌑 “रहस्यमयी परछाईं”
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🌅 शांति की शुरुआत
नागराज के खत्म होने के बाद जंगल में पहली बार सुकून था।
नदियाँ साफ़ बह रही थीं, पक्षी चहक रहे थे और जानवर चैन की नींद सो रहे थे।
सभी ने टाइगर और अर्जुन को जंगल का सच्चा रक्षक मान लिया था।
काला चीता बोला –
"अब तो लग रहा है जैसे सारी मुश्किलें खत्म हो गईं।"
सफ़ेद भेड़िया ने सिर हिलाया –
"हाँ, नागराज जैसा राक्षस दोबारा कभी नहीं आएगा।"
लेकिन टाइगर चुप था।
उसकी नज़र हमेशा सतर्क रहती।
क्योंकि उसके दिल में गूँज रही थी नागराज की आखिरी चेतावनी –
"अंधकार कभी खत्म नहीं होगा…"
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🌌 अजीब सपना
उस रात टाइगर ने एक अजीब सपना देखा।
वो खुद को किसी वीरान रेगिस्तान में पाया।
आसमान काला था, ज़मीन पर हड्डियों के ढेर बिखरे थे।
अचानक उसने देखा —
एक विशाल परछाईं उसके सामने खड़ी है।
उसकी आँखें लाल आग जैसी चमक रही थीं, और आवाज़ गूँजी –
"टाइगर… तूने नागराज को हराया, लेकिन असली युद्ध अब शुरू होगा। मैं आ रहा हूँ…"
टाइगर पसीने-पसीने होकर जागा।
उसकी साँसें तेज़ चल रही थीं।
अर्जुन ने पूछा –
"क्या हुआ भाई?"
टाइगर ने धीरे से कहा –
"अर्जुन… मुझे लगता है असली खतरा अभी बाकी है।"
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🌪️ जंगल में हलचल
अगले दिन जंगल में अजीब घटनाएँ होने लगीं।
पेड़ों की पत्तियाँ अचानक काली पड़ गईं।
नदी का पानी ठंडा होकर जमने लगा, जैसे उस पर किसी अदृश्य ताक़त का असर हो।
जानवर डर से इधर-उधर भागने लगे।
साधु प्रकट हुआ और बोला –
"ये कोई साधारण शक्ति नहीं है। यह ‘छाया लोक’ की आहट है। सदियों पहले एक दैत्य वहाँ बंद किया गया था। शायद अब उसकी मुक्ति का समय आ रहा है।"
अर्जुन ने तलवार कसकर कहा –
"तो हमें उसी दैत्य का सामना करना होगा।"
साधु ने गंभीर होकर कहा –
"तुम नहीं समझते… यह दैत्य है अंधकार सम्राट – कालदूत। नागराज तो बस उसका दास था। असली मालिक वही है।"
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⚔️ नई तैयारी
टाइगर ने अपनी सेना को इकट्ठा किया।
सभी जानवर, बड़े और छोटे, लड़ाई के लिए तैयार हुए।
काला चीता बोला –
"भाई, दुश्मन चाहे कितना भी बड़ा क्यों न हो, इस बार हम पहले से मज़बूत हैं।"
टाइगर ने सिर हिलाया, लेकिन उसका मन बेचैन था।
"अगर ये कालदूत सच में नागराज से भी बड़ा है, तो ये जंग हमारी आखिरी भी हो सकती है।"
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🌑 छाया का हमला
रात होते ही जंगल पर अचानक हमला हुआ।
आसमान से काला धुआँ बरसने लगा।
उस धुएँ से सैकड़ों छायामयी प्राणी निकल आए – बिना चेहरों के, सिर्फ़ लाल आँखों वाले राक्षस।
उन्होंने जंगल पर हमला कर दिया।
जानवर दहशत में भागने लगे।
काला चीता और सफेद भेड़िया पूरी ताक़त से लड़े, लेकिन हर बार छाया प्राणी टूटकर फिर से बन जाते।
अर्जुन ने तलवार घुमाकर कई छायाओं को काट डाला।
लेकिन वो वापस उठ खड़े हुए।
अर्जुन ने चौंककर कहा –
"ये मरते क्यों नहीं?!"
साधु चिल्लाया –
"ये छाया लोक की रचनाएँ हैं। इन्हें खत्म नहीं किया जा सकता, सिर्फ रोशनी से मिटाया जा सकता है!"
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🌋 कालदूत का आगमन
अचानक धरती फटी और गुफा जैसी खाई बन गई।
उसमें से एक विशाल आकृति बाहर निकली।
उसका कद पहाड़ जैसा था, चेहरा काले धुएँ में छिपा और आँखें जलती हुई अंगारों जैसी।
वह था – कालदूत, अंधकार का सम्राट।
उसकी आवाज़ गूँजी –
"टाइगर! तूने मेरे सेवक नागराज को हराया। लेकिन अब मैं स्वयं आया हूँ। ये जंगल नहीं, पूरी दुनिया मेरा राज्य बनेगी!"
सारे जानवर दहशत से काँपने लगे।
अर्जुन ने तलवार उठाई, लेकिन उसका हाथ थरथरा रहा था।
टाइगर ने उसकी ओर देखा और बोला –
"भाई, हिम्मत मत हार। अगर हम साथ हैं, तो कोई हमें हरा नहीं सकता।"
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⚡ क्लिफहैंगर
कालदूत ने अपनी छाया से पूरा आकाश ढक दिया।
सूरज की रोशनी गायब हो गई, जंगल अंधकार में डूब गया।
उसने हाथ उठाकर दहाड़ लगाई, और पूरे जंगल में गूँज उठा –
"अब शुरू होगा अंधकार का युग!"
टाइगर ने भी पूरी ताक़त से दहाड़ मारी।
जंगल कांप उठा, और दोनों की नज़रें एक-दूसरे पर टिकीं।
युद्ध की सबसे बड़ी लड़ाई अब शुरू होने वाली थी।