Episode 665 , 666 , 667 , 668 , 669 , 670 – “अमर आत्मा का श्राप”

The return of tiger
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⭐ The Return of Tiger


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Episode 665 – “अमर आत्मा का श्राप”

नरकंधर का विशाल शरीर नष्ट हो चुका था, लेकिन उसकी काली आत्मा अब भी ज़िंदा थी।
आकाश में काली परछाई मंडराने लगी, और पूरे इलाके में ठंडी हवाएँ चलने लगीं।

टाइगर लहूलुहान ज़मीन पर पड़ा था। अर्जुन ने उसकी मदद की।
अचानक वो आवाज़ आई –
"मूर्खो! तुमने मेरा शरीर तोड़ा है, लेकिन आत्मा को कभी नहीं बाँध पाओगे।
अब मैं सिर्फ नरकंधर नहीं… श्राप बनकर तुम्हारी नसों में बहूँगा।"

टाइगर ने दाँत भींचकर कहा –
"तेरी आत्मा चाहे अमर हो, लेकिन हर आत्मा का कोई ना कोई अंत होता है।"

इस बार लड़ाई शरीर से नहीं, बल्कि आत्मा और शक्ति की होने वाली थी।
कहानी यहीं से और भी रहस्यमय हो जाती है।


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Episode 666 – “आत्माओं का संग्राम”

रात का समय।
अर्जुन ने मंत्र पढ़ा और टाइगर के चारों ओर सुरक्षाचक्र बनाया।
भेड़िया और चीता घायल थे, लेकिन उन्होंने हार नहीं मानी।

नरकंधर की काली आत्मा टुकड़ों में बँटकर हर जगह फैल गई।
कभी वो पेड़ों में समा जाती, कभी जलते हुए पत्थरों में।
हर जगह से उसकी आवाज़ गूँज रही थी –
"तुम्हें नींद में भी चैन नहीं मिलेगा।
हर परछाई, हर हवा, हर सपना… मैं ही हूँ!"

टाइगर ने आँखें बंद कीं और अपनी आत्मा को मजबूत किया।
अब ये लड़ाई बाहरी नहीं, बल्कि आत्माओं का संग्राम बन चुकी थी।


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Episode 667 – “भविष्यवाणी की गूँज”

अर्जुन ने पुराने शास्त्र खोले।
उसमें लिखा था –
"नरकंधर को हराने का एक ही उपाय है –
उसे उसी अग्नि में कैद करना जहाँ से वो पैदा हुआ था।
वो अग्नि अब लुप्त हो चुकी है, लेकिन उसकी चिंगारी हिमालय की गुफाओं में अब भी मौजूद है।"

टाइगर ने तुरंत कहा –
"तो हमें उस गुफा तक जाना होगा।"

लेकिन रास्ता आसान नहीं था।
नरकंधर की आत्मा पहले से ही उनकी योजना जान चुकी थी।
उसने पहाड़ों में भयंकर प्रेत छोड़ दिए, जो टाइगर और उसकी टीम पर हमला करने लगे।


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Episode 668 – “हिमालय का रहस्य”

कठोर ठंड में सफ़र शुरू हुआ।
भेड़िये की चोट और गहरी हो रही थी, लेकिन उसने कहा –
"अगर मैं रुक गया, तो टाइगर अकेला रह जाएगा।"

चीता तेज़ी से आगे बढ़कर रास्ता देखता रहा।
अर्जुन मंत्र पढ़कर रक्षा करता रहा।

आख़िरकार उन्हें वो गुफा मिली।
गुफा के अंदर नीली ज्वालाएँ जल रही थीं – वही थी वो आत्मा की अग्नि, जिसमें नरकंधर को बाँधा जा सकता था।

लेकिन जैसे ही वो अंदर गए, नरकंधर की आत्मा वहाँ प्रकट हो गई।
"तुम सोचते हो कि मैं खुद अपनी जेल में बंद हो जाऊँगा?
मूर्खो… अब मैं इस अग्नि को भी निगल जाऊँगा!"


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Episode 669 – “त्याग की आँच”

नरकंधर ने नीली ज्वालाओं को बुझाने की कोशिश की।
लेकिन अर्जुन ने अपने शरीर से मंत्र की शक्ति अग्नि में डाल दी।
उसका खून जलने लगा, लेकिन उसने मंत्र जारी रखा।

भेड़िया और चीता ने नरकंधर की आत्मा को रोकने के लिए हमला किया।
उनकी आत्माएँ भी जलने लगीं।
टाइगर गरजकर बोला –
"तुम सब पीछे हटो! ये मेरा युद्ध है!"

लेकिन चीते ने कहा –
"नहीं टाइगर! तेरी जीत हमारी कुर्बानी से ही संभव है।"

भेड़िये ने दहाड़ लगाई और खुद को नरकंधर की आत्मा में झोंक दिया।
उसकी आत्मा जलकर राख हो गई, लेकिन नरकंधर थोड़ी देर के लिए कमज़ोर पड़ गया।


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Episode 670 – “कैद या विनाश?”

अब टाइगर के सामने आख़िरी विकल्प था।
या तो वो नरकंधर की आत्मा को नीली अग्नि में कैद करे,
या अपनी जान देकर हमेशा के लिए उसका अंत कर दे।

टाइगर ने आसमान की ओर देखा और बोला –
"अगर मुझे मिटना भी पड़े… तो मैं मिट जाऊँगा।
लेकिन धरती को तुझसे हमेशा के लिए मुक्त कर दूँगा!"

उसने छलाँग लगाई और अपनी पूरी आत्मा को अग्नि में झोंक दिया।
नरकंधर चीखा –
"नहींऽऽऽ… ये आग मेरी भी कैद है!"

गुफा गूँज उठी।
आग की लपटों में टाइगर और नरकंधर दोनों की चीखें मिल गईं।
आसमान तक रोशनी पहुँची।

जब सब शांत हुआ… अर्जुन अकेला खड़ा था।
गुफा में न टाइगर था, न नरकंधर।
बस नीली अग्नि और राख का ढेर रह गया।

अर्जुन की आँखों से आँसू बह निकले।
"क्या टाइगर सच में… चला गया?"


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