👆👆👆👆👆👆👆👆👆
⭐ The Return of Tiger
Episode 664 – “अंतिम दानव का उदय”
---
🌌 नरकंधर का नया रूप
आसमान चीख रहा था।
काले बादलों के बीच से आग और बिजली गिर रही थी।
धरती काँप रही थी, जैसे खुद पृथ्वी डर के मारे भागना चाहती हो।
नरकंधर अब इंसान या राक्षस जैसा नहीं लग रहा था।
उसके पीछे दो विशाल पंख उग आए थे, उसके मुँह से आग की लपटें निकल रही थीं।
उसका शरीर आधा दैत्य और आधा ड्रैगन में बदल चुका था।
उसके हर कदम से ज़मीन धसक जाती थी।
"अब तुमने मेरी असली नींद भंग की है।
अब इस धरती पर कोई भी शक्ति मुझे रोक नहीं पाएगी।" – नरकंधर ने गर्जना की।
---
🩸 टाइगर की थकी हालत
टाइगर ज़मीन पर खड़ा था, लेकिन उसका शरीर लहूलुहान था।
उसकी साँसें भारी हो चुकी थीं।
भेड़िया और चीता बुरी तरह घायल पड़े थे, मुश्किल से होश में।
अर्जुन का मंत्र-साधना से शरीर जल चुका था।
फिर भी टाइगर की आँखों में हार का नामोनिशान नहीं था।
उसने अपने पंजे उठाए और कहा –
"तू चाहे कितना भी बड़ा हो जाए नरकंधर…
लेकिन ये मत भूल…
जितना बड़ा दानव, उतनी बड़ी उसकी हार!"
---
⚡ युद्ध की शुरुआत
नरकंधर ने अपने पंख फड़फड़ाए और एक ही झटके में तूफ़ान खड़ा कर दिया।
पूरे जंगल के पेड़ जड़ों से उखड़ गए।
अर्जुन और बाकी सब ज़मीन पर गिर गए।
टाइगर ने दहाड़ लगाई और उसकी आँखों से सुनहरी चमक निकलने लगी।
उसने छलाँग लगाकर नरकंधर के सीने पर वार किया।
लेकिन अब उसकी चमड़ी लोहे जैसी कठोर हो चुकी थी।
टाइगर का पंजा फिसल गया और वो नीचे जा गिरा।
नरकंधर ने हँसते हुए कहा –
"तेरी ताक़त अब मेरे सामने रेत के कण जैसी है।"
उसने आग की साँस छोड़ी और पूरा मैदान जल उठा।
टाइगर धुएँ और आग के बीच खड़ा रहा, लेकिन उसका शरीर और भी जल चुका था।
---
🌟 अर्जुन की योजना
अर्जुन ने अपने घुटनों पर बैठते हुए कहा –
"सीधे वार से कुछ नहीं होगा।
हमें इसे भीतर से तोड़ना होगा।"
उसने अपनी किताब से एक मंत्र पढ़ा और कहा –
"इस दानव का दिल उसकी शक्ति का केंद्र है।
अगर हम उसके दिल तक पहुँचे और उसे शुद्ध रोशनी से भर दें… तो शायद हम इसे रोक सकें।"
टाइगर ने गहरी साँस ली –
"तो मुझे उसके दिल तक पहुँचना होगा।"
---
🐺 भेड़िये का साहस
भेड़िये ने धीरे-धीरे उठते हुए कहा –
"टाइगर… अगर तुझे उसके दिल तक पहुँचना है… तो मैं तुझे रास्ता दूँगा।"
चीते ने कहा –
"और मैं उसकी गति रोकूँगा।"
दोनों ने आख़िरी ताक़त जुटाई।
भेड़िये ने दहाड़ मारकर नरकंधर के पैरों को काट लिया।
चीते ने उसकी आँखों पर वार किया।
नरकंधर गुस्से से गरजा और दोनों को अपने पंखों से उछाल दिया।
लेकिन उनके बलिदान ने टाइगर को मौक़ा दे दिया।
---
⚔️ दिल पर वार
टाइगर बिजली की गति से छलाँग लगाकर नरकंधर की छाती तक पहुँचा।
उसने अपने पंजे से वार किया और नरकंधर का कवच चटक गया।
भीतर से काली ऊर्जा निकल रही थी – वही उसका दिल था।
टाइगर ने पूरी ताक़त से पंजा भीतर घुसा दिया।
नरकंधर दर्द से चीखा।
आसमान फट गया, धरती काँपने लगी।
अर्जुन ने मंत्र पढ़ा और अपनी बची हुई ऊर्जा टाइगर की ओर भेज दी।
टाइगर का शरीर सुनहरी रोशनी से जल उठा।
"ये रोशनी तेरे अंधकार को निगल जाएगी, नरकंधर!"
---
💥 विस्फोट
टाइगर ने पंजे से सीधा नरकंधर के दिल पर वार किया।
काले खून की जगह आग और बिजली फटने लगे।
नरकंधर ने पागल होकर चिल्लाया –
"नहींऽऽऽ… ये नामुमकिन है… मैं अमर हूँ… मैं… मैं…"
उसका पूरा शरीर दरारों से भर गया।
आसमान में एक भयानक विस्फोट हुआ।
नरकंधर का विशाल शरीर फटकर चिथड़े-चिथड़े हो गया।
---
🌌 सन्नाटा
धूल और राख से आकाश ढक गया।
चारों ओर सन्नाटा छा गया।
जंगल जलकर राख हो चुका था।
टाइगर ज़मीन पर गिर पड़ा।
उसकी साँसें भारी थीं, लेकिन उसकी आँखों में चमक थी।
अर्जुन उसके पास दौड़ा और बोला –
"तूने कर दिखाया टाइगर… तूने धरती को बचा लिया।"
टाइगर ने धीमी आवाज़ में कहा –
"नहीं अर्जुन… ये जीत अकेले मेरी नहीं… ये उन सबकी है जिन्होंने बलिदान दिया।"
उसने चीते और भेड़िये की ओर देखा, जो ज़मीन पर घायल पड़े थे।
उनकी साँसें बहुत हल्की थीं।
---
🌠 क्लिफहैंगर
अचानक धुएँ के बीच से एक गहरी आवाज़ गूँजी –
"तुमने मेरे शरीर को नष्ट किया है… लेकिन मेरी आत्मा अभी ज़िंदा है।
मैं वापस आऊँगा… और इस बार कोई रोशनी मुझे रोक नहीं पाएगी।"
टाइगर और अर्जुन चौक गए।
आवाज़ नरकंधर की ही थी – लेकिन उसका शरीर दिखाई नहीं दे रहा था।
बस एक काली परछाई धीरे-धीरे आकाश की ओर जा रही थी।
Episode 664 यहीं समाप्त होता है –
जहाँ नरकंधर का शरीर नष्ट हो गया, लेकिन उसकी आत्मा अब भी बची है, और असली ख़तरा अभी बाकी है।