⭐ The Return of TigerEpisode 672 – “अंधकार की साज़िश”

The return of tiger
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⭐ The Return of Tiger

Episode 672 – “अंधकार की साज़िश”

Part 1 (~1000 शब्द)

रात का सन्नाटा टूटा जब काले बादलों ने चाँद को पूरी तरह ढक लिया। हवाएँ रहस्यमयी आवाज़ करती हुई बही जा रही थीं, जैसे किसी तूफ़ान के आने की आहट हो। गाँव के पास खड़े पुराने बरगद के पेड़ के नीचे एक परछाई हिली—वही नरकंधर, जो अब इंसानी शरीर में छुपा हुआ था। उसकी आँखों में आग जैसी चमक थी, और होठों पर एक शैतानी मुस्कान।

“टाइगर को मैं हर हाल में फँसाऊँगा,” नरकंधर बुदबुदाया।
उसने अपनी हथेली फैलायी, और उसमें से काला धुआँ उठने लगा। धीरे-धीरे उस धुएँ ने एक आकृति का रूप ले लिया—भयानक राक्षसी सैनिक, जिनकी आँखें लाल अंगारों जैसी थीं। नरकंधर ने उन्हें आदेश दिया,
“गाँव के सबसे छोटे और मासूम बच्चों को निशाना बनाओ। टाइगर वहीं आएगा, और वहीं उसका अंत होगा।”


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उधर, टाइगर अपने गुप्त अड्डे में ध्यान कर रहा था। अर्जुन और बाकी योद्धा उसके पास ही थे। ध्यान की गहराई में टाइगर को अचानक एक चीख सुनाई दी। यह आवाज़ साधारण नहीं थी—यह उसकी आत्मा को झकझोर रही थी।
“बचाओ! बचाओ!!” जैसे दर्जनों बच्चों की आवाज़ें उसके कानों में गूँज उठीं।

टाइगर ने तुरंत अपनी आँखें खोलीं और उठ खड़ा हुआ।
अर्जुन ने पूछा, “क्या हुआ टाइगर?”
टाइगर की आँखें चमक रही थीं, “नरकंधर ने बच्चों को निशाना बनाया है। हमें तुरंत निकलना होगा।”


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गाँव की ओर जाते समय रास्ता बहुत ही डरावना था। पेड़ों के बीच अंधकार इतना गहरा था कि कोई भी रोशनी उसे चीर नहीं पा रही थी। अचानक टाइगर ने देखा—एक बच्चा रोते हुए भाग रहा था और उसके पीछे काले सैनिक दौड़ रहे थे।

टाइगर ने छलाँग लगाई और बिजली की गति से उन सैनिकों पर टूट पड़ा। एक ही वार में उसने दो सैनिकों को धराशायी कर दिया।
लेकिन यह शुरुआत भर थी—पीछे से और सैनिक प्रकट हुए। उनकी संख्या इतनी ज़्यादा थी कि अर्जुन और बाकी योद्धा भी लड़ाई में कूद पड़े।

अर्जुन ने अपना धनुष निकाला और अग्निबाण छोड़ा।
धड़ाम!
एक पल में पाँच सैनिक जलकर राख हो गए।
फिर भी नए सैनिक लगातार पैदा होते जा रहे थे।


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इसी बीच, नरकंधर एक ऊँचे पहाड़ पर खड़ा लड़ाई देख रहा था। उसकी आँखों में विजय का विश्वास था।
“जितना चाहे लड़ ले टाइगर, यह तो बस शुरुआत है। असली खेल अभी बाकी है।”


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लड़ाई बढ़ती गई। टाइगर एक-एक कर सैनिकों को मार रहा था, पर हर वार के साथ उसका गुस्सा भी बढ़ रहा था।
अचानक, टाइगर ने देखा कि एक छोटा बच्चा पेड़ के पीछे छुपा हुआ है और दो सैनिक उसकी ओर बढ़ रहे हैं।

टाइगर ने जोर से दहाड़ लगाई और पूरे वेग से वहाँ पहुँचा।
उसने दोनों सैनिकों को अपने नुकीले पंजों से फाड़ डाला।
बच्चा काँपते हुए बोला, “भैया… मुझे बचा लो।”
टाइगर ने उसे अपनी बाँहों में उठा लिया और बोला, “डर मत, जब तक मैं ज़िंदा हूँ, तुझे कुछ नहीं होगा।”


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लेकिन तभी ज़मीन जोर से काँपी। एक विशालकाय आकृति वहाँ प्रकट हुई। यह कोई साधारण सैनिक नहीं था, बल्कि नरकंधर का खास दानव “कालवज्र” था। उसकी ऊँचाई दस फीट से भी ज्यादा, हाथ में लोहे का गदा और आँखों में खून की प्यास।

कालवज्र गरजा—
“टाइगर! तेरा अंत मेरे हाथों लिखा है।”

टाइगर ने बच्चे को अर्जुन के हवाले किया और सामने खड़ा हो गया।
“अगर तुझे लड़ना है, तो आ… पर याद रख, मैं पीछे नहीं हटूँगा।”


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⚡ दोनों का टकराव शुरू हुआ।
कालवज्र ने अपनी गदा ज़ोर से घुमाई। टाइगर ने छलाँग लगाकर बचाव किया, पर गदा ज़मीन पर लगते ही चारों ओर दरारें पड़ गईं।
टाइगर ने पलटवार करते हुए अपनी पूरी ताकत से कालवज्र पर हमला किया, लेकिन उसकी चमड़ी पत्थर जैसी सख़्त थी।

लड़ाई इतनी भयानक थी कि आसमान तक गूँज रहा था। बच्चे और ग्रामीण दूर से यह सब देख रहे थे, उनके दिलों में डर और उम्मीद दोनों
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