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⭐ The Return of Tiger
Episode 661 – “असली राजा की परछाई”
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🌅 नया सवेरा, नई चिंता
अंधक की राख हवा में उड़ चुकी थी।
जंगल, पहाड़ और आसमान सब पहली बार सैकड़ों सालों बाद नीला और शांत दिख रहे थे।
ठंडी हवा बह रही थी, पक्षियों की आवाज़ सुनाई देने लगी।
अर्जुन ने आसमान की ओर देखा और राहत की साँस ली।
"हमने सचमुच जीत हासिल कर ली…"
सफ़ेद भेड़िया मुस्कुराया –
"हाँ, लेकिन ये ख़ामोशी मुझे डरा रही है। जब बहुत बड़ी आँधी आती है, तो पहले हवा बिल्कुल शांत हो जाती है।"
टाइगर ने सिर झुकाकर ज़मीन सूंघी।
उसकी आँखें अचानक चौकन्नी हो गईं।
"कुछ सही नहीं है… धरती अब भी काँप रही है।"
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⚡ अंधक की आख़िरी हँसी
तभी हवा में गूँज सुनाई दी।
वो अंधक की आवाज़ थी – टूटी-फूटी, लेकिन साफ़।
"मूर्खो! तुमने सोचा मुझे हराकर जीत गए?
मैं तो बस एक सेवक था… असली राजा तो अब जागेगा।
उसके सामने तुम सब धूल से भी कम हो।"
अर्जुन के चेहरे पर डर की छाया आई।
"मतलब… ये तो बस शुरुआत थी?"
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🏰 रहस्यमयी मंदिर
चीता ने चारों ओर देखा और दूर एक पहाड़ की चोटी पर चमकती रोशनी देखी।
वहाँ एक प्राचीन मंदिर खड़ा था – टूटा-फूटा, लेकिन उसकी दीवारों से काली बिजली निकल रही थी।
अर्जुन बोला –
"मुझे लगता है असली रहस्य वहीं छिपा है।"
सफ़ेद भेड़िया गुर्राया –
"अगर अंधक वहाँ से अपनी ताक़त ले रहा था, तो राजा भी उसी मंदिर में क़ैद होगा।"
टाइगर ने दृढ़ आवाज़ में कहा –
"तो चलो। अब हमें वहाँ जाना ही होगा।"
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🌌 मंदिर की यात्रा
रास्ता आसान नहीं था।
पहाड़ की ओर जाते हुए हर कदम पर जाल बिछे थे –
काले धुएँ से बने सर्प, ज़मीन से उगते काँटों के जंगल, और अचानक गिरते पत्थरों की बारिश।
चीता ने अपनी गति से सबको बचाया।
भेड़िये ने रास्ता साफ़ किया।
अर्जुन ने मंत्र पढ़कर जादुई दीवारें खड़ी कीं।
लेकिन टाइगर… वो हर जाल पर सबसे आगे खड़ा रहा।
उसका शरीर जख़्मी हो रहा था, फिर भी वो एक पल के लिए पीछे नहीं हटा।
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🔥 मंदिर का द्वार
आख़िरकार चारों उस मंदिर तक पहुँचे।
उसके द्वार पर दो विशाल मूर्तियाँ खड़ी थीं – आधे इंसान, आधे राक्षस।
उनकी आँखें लाल चमक रही थीं और हाथों में पत्थर की तलवारें थीं।
जैसे ही टाइगर ने दरवाज़े को धक्का दिया, दोनों मूर्तियाँ जीवित हो उठीं।
उनकी चाल धीमी लेकिन ताक़त पहाड़ जैसी थी।
अर्जुन चिल्लाया –
"ये ‘रक्षक’ हैं। हमें इन्हें हराना होगा वरना अंदर जाना नामुमकिन है!"
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⚔️ युद्ध मूर्तियों से
पहली मूर्ति ने ज़मीन पर तलवार मारी।
भूकंप जैसा झटका लगा और सब गिर पड़े।
दूसरी मूर्ति ने हाथ बढ़ाकर भेड़िये को पकड़ लिया।
भेड़िया गुर्राता रहा लेकिन उसकी पकड़ से छूट नहीं पा रहा था।
चीता ने छलाँग लगाई और मूर्ति की आँख पर वार किया।
उसकी आँख टूट गई और वो पीछे हट गई।
टाइगर ने दहाड़ लगाई और पूरे बल से मूर्ति की छाती पर टक्कर मारी।
उस पत्थर की मूर्ति में दरार पड़ गई और वो ढहकर टूट गई।
अर्जुन ने मंत्र पढ़ा और अपनी तलवार से दूसरी मूर्ति पर बिजली का वार किया।
वो राख बनकर बिखर गई।
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🕳️ अंधेरे का गर्भगृह
दरवाज़ा खुला।
अंदर अंधेरा इतना गहरा था कि साँस लेना मुश्किल हो गया।
दीवारों पर प्राचीन लेख थे – जिनमें लिखा था “अंधकार का राजा सो रहा है, उसके जागने से धरती काँप जाएगी।”
चारों ने धीरे-धीरे अंदर कदम रखा।
वहाँ एक विशाल कक्ष था।
बीच में एक काला क्रिस्टल रखा था, और उसके भीतर कोई विशाल परछाई सो रही थी।
क्रिस्टल से धड़कनों जैसी आवाज़ आ रही थी।
"धक… धक… धक…"
अर्जुन की आँखें फैल गईं –
"ये… यही है असली राजा।"
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🌑 परछाई की चेतावनी
अचानक क्रिस्टल चमका और उसके भीतर से आवाज़ आई –
"तो तुम वही हो जिन्होंने मेरे सेवक अंधक को हराया?
मूर्खो… तुमने मुझे ही जगा दिया है।"
सफ़ेद भेड़िये ने काँपते स्वर में कहा –
"इसकी आवाज़ ही इतनी भारी है कि कान फट जाएँ… अगर ये बाहर आया तो पूरी धरती नष्ट हो जाएगी।"
टाइगर आगे बढ़ा और गुर्राया –
"अगर तू बाहर आया… तो तेरा सामना सबसे पहले मुझसे होगा!"
क्रिस्टल की दरारें फैलने लगीं।
काला धुआँ पूरे कक्ष में भर गया।
परछाई धीरे-धीरे जागने लगी।
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🚨 क्लिफहैंगर
आख़िरी दृश्य में क्रिस्टल फट गया और एक विशाल आकृति बाहर आने लगी।
उसकी ऊँचाई अंधक से दोगुनी थी।
उसके चार हाथ थे और हर हाथ में अलग-अलग हथियार।
आँखें इतनी लाल थीं जैसे दो जलते सूरज।
उसने गहरी आवाज़ में कहा –
"मैं हूँ महाराक्षस नरकंधर… अंधकार का असली राजा!"
अर्जुन, टाइगर, चीता और भेड़िया चारों उसकी छाया में चींटियों जैसे लग रहे थे।
उनकी साँसें रुक गईं… क्योंकि अब असली युद्ध की शुरुआत होने वाली थी।