🌿 “नया सवेरा, नया खतरा 651

The return of tiger
0
👆👆👆👆👆👆👆👆


⭐ The Return of Tiger – Episode 651

🌿 “नया सवेरा, नया खतरा”


---

🌅 शांति की वापसी

कालदूत की हार के बाद जंगल में पहली बार सूरज की रोशनी उतरी थी।
सोने जैसी किरणें पेड़ों की शाखाओं पर बिखर गईं।
नदी का पानी फिर से साफ़ बहने लगा, और पक्षियों ने लंबे समय बाद गीत गाना शुरू किया।

जानवर, जो अब तक अंधेरे के आतंक में थे, अब खुले मैदानों में लौट आए।
हाथी नहा रहे थे, बंदर एक-दूसरे से खेल रहे थे, हिरण घास पर दौड़ रहे थे।

सबकी निगाहें सिर्फ़ एक ओर थीं — टाइगर।
वो जंगल के केंद्र में खड़ा था, उसका शरीर अब भी चमकदार था।
उसकी धारियाँ हल्की सुनहरी आभा दे रही थीं।

अर्जुन उसके पास आया, तलवार को ज़मीन में गाड़ते हुए मुस्कराया और बोला –
"भाई, हमने कर दिखाया। जंगल फिर से जिंदा हो गया।"

टाइगर ने गहरी साँस ली, उसकी आँखों में संतोष था।
"हाँ अर्जुन… लेकिन ये जीत आसान नहीं थी। हमने बहुत कुछ खोया है।"

उसकी नज़र दूर उस हिस्से पर गई, जहाँ कालदूत के हमले से ज़मीन अब भी जली हुई थी।
वहाँ कोई घास नहीं उग रही थी, सिर्फ़ राख थी।


---

🧙 साधु की चेतावनी

शांति के इस पल में वही बूढ़ा साधु फिर से प्रकट हुआ।
उसकी लंबी दाढ़ी हवा में लहरा रही थी और उसकी आँखों में गंभीरता थी।

सभी जानवर तुरंत उसके आगे झुक गए।
साधु ने धीरे से कहा –

"कालदूत की हार अंत नहीं है।
अंधकार का हर टुकड़ा मिटा नहीं, कुछ हिस्से बच गए हैं।
और उन हिस्सों को जगाने वाला असली खतरा अभी आना बाकी है।"

टाइगर और अर्जुन ने चौंककर उसकी ओर देखा।
"क्या मतलब?" अर्जुन ने पूछा।

साधु ने आसमान की ओर इशारा किया।
"उत्तर दिशा में, पहाड़ों के उस पार एक प्राचीन मंदिर है।
वहाँ कैद है ‘अग्निरुद्र’ – आग का दानव।
वो कालदूत से भी पुराना और शक्तिशाली है।
अगर वो जाग गया, तो न सिर्फ़ जंगल, बल्कि पूरी धरती खतरे में होगी।"

टाइगर की आँखों में चिंता तैर गई।
"तो हमें वहाँ जाना होगा।"


---

🐅 सफ़र की शुरुआत

अगले ही दिन, टाइगर और अर्जुन ने सफ़र शुरू किया।
उनके साथ काला चीता और सफ़ेद भेड़िया भी थे।
जंगल के कई जानवर उनकी ओर देखते रहे —
कुछ ने गर्व से दहाड़ा, कुछ ने सिर झुकाकर प्रार्थना की।

अर्जुन ने पीछे मुड़कर देखा और मुस्कराया –
"भाई, देखो… ये सब हमें भगवान मानने लगे हैं।"

टाइगर ने धीरे से कहा –
"नहीं अर्जुन, मैं भगवान नहीं… मैं बस उनका साथी हूँ।
लेकिन हाँ, जब तक मैं ज़िंदा हूँ, इन्हें कोई छू नहीं सकता।"

उनकी यात्रा आसान नहीं थी।
जैसे-जैसे वे जंगल से बाहर बढ़े, हवा भारी होने लगी।
पेड़ों की हरियाली कम होती गई और धीरे-धीरे सूखी जमीन दिखाई देने लगी।


---

⚠️ रहस्यमयी संकेत

तीसरे दिन वे एक पुराने खंडहर पर पहुँचे।
वहाँ टूटी मूर्तियाँ और दीवारों पर अजीब चिन्ह बने थे।
साधु की बातें याद आईं।

अर्जुन ने दीवार पर हाथ फेरा और बोला –
"ये सब बहुत पुराना लगता है… शायद हजारों साल पुराना।"

टाइगर ने उन चिन्हों को गौर से देखा।
उनमें एक आकृति बनी थी —
एक दानव जिसकी आँखों से आग की लपटें निकल रही थीं।

सफ़ेद भेड़िये ने दहाड़ मारी, जैसे उसे कुछ अशुभ महसूस हुआ हो।
अचानक ज़मीन काँपने लगी।
खंडहर के बीच से धुआँ उठने लगा।

अर्जुन ने तलवार कसकर पकड़ी।
"तैयार हो जाओ… कुछ आ रहा है!"


---

🌋 पहला सामना

धुएँ से तीन काले राक्षस बाहर निकले।
उनके शरीर पत्थर जैसे कठोर थे और आँखें आग की तरह जल रही थीं।
वे साधारण छाया प्राणी नहीं थे, बल्कि अग्निरुद्र के अनुयायी।

एक ने गूँजती आवाज़ में कहा –
"कौन है जो हमारे स्वामी की नींद में खलल डाल रहा है?"

टाइगर गरजा –
"हम जंगल के रक्षक हैं। तुम्हारे स्वामी को कभी जगने नहीं देंगे!"

राक्षस हँसे और उन पर टूट पड़े।

युद्ध शुरू हुआ।
अर्जुन ने तलवार से वार किया, लेकिन जैसे ही तलवार उनके शरीर पर लगी, चिंगारियाँ निकलीं।
काला चीता पीछे से छलाँग मारकर एक के कंधे पर चढ़ गया और उसके सिर पर वार किया।
सफ़ेद भेड़िये ने अपने दाँत गड़ाकर दूसरे को गिरा दिया।

लेकिन तीसरे राक्षस ने टाइगर पर सीधा हमला किया।
उसके मुक्के से ज़मीन फट गई।
टाइगर पीछे हटा, फिर दहाड़ते हुए पंजों से वार किया।

टक्कर इतनी जोरदार थी कि खंडहर हिल गया।
पर राक्षस हिला भी नहीं।

"ये… बहुत मज़बूत हैं।" अर्जुन ने दाँत भींचकर कहा।

🔥 राक्षसों का कहर

खंडहर की दीवारें अब टूटने लगी थीं।
तीनों अग्निरुद्र अनुयायी पूरी ताक़त से हमला कर रहे थे।
उनकी हर हरकत से चिंगारियाँ उड़ रही थीं और ज़मीन जल रही थी।

अर्जुन ने तलवार घुमाते हुए एक राक्षस की गर्दन पर वार किया,
लेकिन वार से सिर्फ़ आग की चिनगारियाँ निकलीं।
वो राक्षस हँस पड़ा और अपनी हथेली से आग का गोला बनाकर अर्जुन पर फेंक दिया।

अर्जुन बच तो गया, लेकिन उसके कपड़ों का एक हिस्सा जल उठा।
"ये तो साधारण नहीं… इनका शरीर आग से बना है!" उसने चीखते हुए कहा।

टाइगर गरजा, उसकी दहाड़ से पूरा खंडहर काँप उठा।
उसने छलाँग लगाई और अपने पंजों से राक्षस की छाती पर वार किया।
इस बार वार सीधा था — राक्षस पीछे जा गिरा, लेकिन उसकी छाती से और ज्यादा लपटें निकलने लगीं।

काला चीता पीछे से झपटा और उसके गले में दाँत गड़ा दिए।
लेकिन जैसे ही उसने मुँह हटाया, उसके जबड़े जल गए।
चीते ने दर्द से चीख मारी।

सफ़ेद भेड़िया दौड़कर उसके पास पहुँचा और उसे पीछे खींच लिया।
"सावधान रहो! इन्हें छूना भी आग जैसा है।"


---

🌌 साधु का प्रकट होना

तभी अचानक आसमान में चमक हुई और वही बूढ़ा साधु प्रकट हुआ।
उसकी आवाज़ चारों ओर गूँज उठी –

"याद रखो! ये अनुयायी अग्नि से पैदा हुए हैं।
इन्हें तलवार से नहीं, बल्कि उनके भीतर की अग्नि को शांत करके हराया जा सकता है।"

अर्जुन ने चौंककर पूछा –
"भीतर की अग्नि को शांत करना… मतलब?"

साधु बोला –
"हर प्राणी के भीतर क्रोध और शांति दोनों होती है।
ये अनुयायी क्रोध से जिंदा हैं।
अगर इनका संतुलन तोड़ दो, तो ये राख बन जाएंगे।"

इतना कहकर साधु फिर गायब हो गया।


---

⚔️ योजना

टाइगर ने तुरंत समझ लिया।
उसने अर्जुन की ओर देखा और बोला –
"हमें इन्हें उलझाना होगा, ताकि इनका संतुलन बिगड़ जाए।"

अर्जुन ने सिर हिलाया।
उसने तलवार ज़मीन में गाड़ दी और हाथ जोड़कर ध्यान लगाने लगा।
उसकी आँखें बंद हो गईं और उसके चारों ओर एक नीली रोशनी फैलने लगी।

राक्षस हँसते हुए उसकी ओर बढ़े।
लेकिन तभी टाइगर उनके सामने आ खड़ा हुआ।

"अर्जुन पर हमला नहीं कर सकते। पहले मुझे हराना होगा!"
उसकी दहाड़ इतनी प्रबल थी कि आसमान काँप उठा।


---

🌪️ युद्ध का नया मोड़

पहला राक्षस टाइगर पर झपटा।
टाइगर ने बगल हटकर उसकी गर्दन पर सीधा वार किया।
इस बार उसके पंजों से सुनहरी रोशनी निकली।

राक्षस की छाती पर निशान उभर गया और उसके भीतर की आग डगमगाने लगी।
वो चीखते हुए पीछे हट गया।

दूसरे राक्षस ने गुस्से में आग का तूफ़ान छोड़ दिया।
पूरे खंडहर में आग की लपटें फैल गईं।
पेड़ जलने लगे, हवा गर्म हो गई।

लेकिन अर्जुन का ध्यान और गहरा हो गया।
उसके चारों ओर अब नीली रोशनी का घेरा बन चुका था।
उस रोशनी से ठंडी हवाएँ उठ रही थीं।

जैसे ही वो हवाएँ आग की लपटों से टकराईं, आग की तीव्रता कम होने लगी।


---

🐅 टाइगर की शक्ति

टाइगर ने मौका देखकर छलाँग लगाई और दूसरे राक्षस पर टूट पड़ा।
उसके पंजों की सुनहरी धारियाँ अब और तेज़ चमक रही थीं।
उसने एक जोरदार वार किया और राक्षस की छाती में गहरी दरार पड़ गई।

राक्षस चीखा और उसकी आँखों की आग बुझने लगी।
कुछ ही पलों में उसका शरीर राख में बदल गया और हवा में बिखर गया।

"एक गया… अब दो बाकी हैं।" टाइगर ने दहाड़ते हुए कहा।


---

🌑 काला चीता और सफ़ेद भेड़िया

तीसरा राक्षस अब चीते और भेड़िये पर टूट पड़ा।
उसने अपने दोनों हाथ उठाए और ज़मीन पर पटक मारी।
ज़मीन फटी और आग की दरारें चारों ओर फैल गईं।

चीता और भेड़िया मुश्किल से बच पाए।
लेकिन दोनों ने समझ लिया कि अकेले कुछ नहीं कर पाएँगे।

चीता ने फुर्ती से राक्षस का ध्यान भटकाया,
तो भेड़िये ने पीछे से छलाँग लगाई और उसके पैर पकड़ लिए।

राक्षस लड़खड़ाया।
तभी अर्जुन ने मंत्रोच्चार किया और नीली रोशनी का गोला उसकी ओर छोड़ा।

रोशनी जैसे ही राक्षस को लगी, उसकी आँखें धुंधली हो गईं।
उसके भीतर का क्रोध कम होने लगा और वो धीरे-धीरे राख बनकर गिर पड़ा।


---

🔥 पहला अनुयायी

अब सिर्फ़ पहला राक्षस बचा था।
वो सबसे शक्तिशाली था और उसकी आँखों में और ज्यादा आग भड़क रही थी।
वो गरजते हुए बोला –
"तुम सोचते हो हमें हराकर बच जाओगे?
अग्निरुद्र जल्द जागेगा, और तुम्हारी ये जीत बेकार साबित होगी!"

टाइगर ने उसकी ओर देखा और बोला –
"चाहे अग्निरुद्र हो या कोई और… जब तक मैं ज़िंदा हूँ, इस धरती को कोई नुकसान नहीं पहुँचा सकता।"

उसने छलाँग लगाई और पूरे ज़ोर से राक्षस पर वार किया।
वार इतना शक्तिशाली था कि राक्षस की छाती फट गई।

उसकी चीख आसमान तक गूँज उठी और कुछ ही पलों में उसका शरीर भी राख में बदल गया।


---

🌄 परिणाम

खंडहर में अब सन्नाटा था।
तीनों राक्षस राख बन चुके थे।
अर्जुन ने धीरे-धीरे आँखें खोलीं, उसके चेहरे पर पसीना था।

काला चीता और सफ़ेद भेड़िया घायल थे, लेकिन ज़िंदा थे।
टाइगर ने उनकी ओर देखा और बोला –
"तुम दोनों ने कमाल कर दिया।"

अर्जुन ने साँस लेते हुए कहा –
"लेकिन ये तो बस शुरुआत थी… अगर ये अनुयायी इतने खतरनाक थे, तो सोचो अग्निरुद्र कितना भयावह होगा।"

टाइगर ने दूर क्षितिज की ओर देखा।
पहाड़ों के पीछे एक लाल आभा उठ रही थी — जैसे कोई शक्ति धीरे-धीरे जाग रही हो।

उसने धीमी आवाज़ में कहा –
"अगला कदम हमें उसी दिशा में ले जाएगा… और वहाँ हमारा असली इम्तिहान इंतज़ार कर रहा है।"

  • Newer

    🌿 “नया सवेरा, नया खतरा 651

Post a Comment

0 Comments

Post a Comment (0)
3/related/default